Sunday, March 17, 2013

मदारी

पोस्ट  रचियता ---    अंकित  कुमार विजय  
बिना सहारे और सीढ़ी के,
झटपट पेड़ों पर चढ़ जाता। 
बच्चों और बड़ों को भी ये, 
खों-खों करके बहुत डराता। 
  
कोई इसको वानर कहता, 
कोई हनूमान बतलाता। 
मानव का पुरखा बन्दर है, 
यह विज्ञान हमें सिखलाता। 
  
गली-मुहल्ले, नगर गाँव में, 
इसे मदारी खूब नचाता। 
बच्चों को ये खूब हँसाता,
पैसा माँग-माँग कर लाता।
 

  
कुनबे भर का पेट पालता, 
लाठी से कितना घबराता। 
तान डुगडुगी की सुन करके, 
अपने करतब को दिखलाता।

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