Sunday, March 17, 2013

पलाश के फूल"


सबके लिए बसन्त कामौसम है अनुकूल।
फागुन में मन मोहतेये पलाश के फूल।१।
 
अंगारा सेमल हुआवन में खिला पलाश।
मन के उपवन में उठीभीनी मन्द-सुवास।२।
 
सरसों फूली खेत मेंपीताम्बर को धार।
देख अनोखे रूप कोभ्रमर करे गुंजार।३।
 
कुदरत ने पहना दियेनवपल्लव परिधान।
भक्त मन्दिरों में करेंहर-हरबम-बम गान।४।
 
खुश हो बेरी दे रहीबेरों का उपहार।
इन बेरों में है छिपाराम लखन का प्यार।५।
 
गेंहूँ लहराने लगेबाली पाकर आज।
मस्ती और तरंग मेंडूबा सकल समाज।६।
 
मौसम में उन्माद कीछाई हुई उमंग।
लोगों पर चढ़ने लगाअब होली का रंग।७।

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