सबके लिए बसन्त का, मौसम है अनुकूल।
फागुन में मन मोहते, ये पलाश के फूल।१।
अंगारा सेमल हुआ, वन में खिला पलाश।
मन के उपवन में उठी, भीनी मन्द-सुवास।२।

सरसों फूली खेत में, पीताम्बर को धार।
देख अनोखे रूप को, भ्रमर करे गुंजार।३।
कुदरत ने पहना दिये, नवपल्लव परिधान।
भक्त मन्दिरों में करें, हर-हर, बम-बम गान।४।
खुश हो बेरी दे रही, बेरों का उपहार।
इन बेरों में है छिपा, राम लखन का प्यार।५।
गेंहूँ लहराने लगे, बाली पाकर आज।
मस्ती और तरंग में, डूबा सकल समाज।६।
मौसम में उन्माद की, छाई हुई उमंग।
लोगों पर चढ़ने लगा, अब होली का रंग।७।
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