Sunday, March 17, 2013

पूजा-सी पावन लगे


1
नारी केवल तन नहीं ,नारी मन की धूप ।
मन में जिसके वासना ,कब पहचाने रूप  ।  ।
2
नवरात्र उपवास किए , मिटे न मन के ताप ।
पुरुष बनकरके नरपशु, फिर-फिर करता पाप ॥
3
नारी जननी पुरुष की ,ममता की आधार ।
बड़े भाग जिसको मिला,इसका सच्चा प्यार । ।
4
मस्तक पर धारण करूँ ,तेरे पग की धूल ।
प्यार-सुधा तेरा मिले , मिटते मन के शूल । ।
5
मन्दिर मैं जाता नहीं , निभा न पाता रीत ।
पूजा-सी पावन लगे  , मुझको तेरी प्रीत । ।
6
नारी के आँसू बहें , जलते तीनो लोक ।
नारी की मुस्कान से ,मिटते मन के शोक । ।
7

No comments:

Post a Comment