Wednesday, June 17, 2015

Meri Biti Yade

झूले,गीत,बहार सब,आम,नीम की छाँव | हम से सपनों में मिला,वो पहले का गाँव || सूरज की पहली किरन,पनघट उठता बोल | छेड़ें बतियाँरात की,सखियाँ करें किलोल || गगरी कंगन से कहे,अपने मन की बात | रीती ही रस केबिना,बीत न जाए रात || अमराई बौरा गई, बहकी बहे बयार | सरसों फूली सी फिरे,ज्यों नखरीली नार || कच्ची माटी, लीपना, तुलसी वन्दनवार | सौंधी-सौंधी गंध से,महक उठे घर-द्वार || बेला भई विदाई की,घर-घर हुआ उदास | बिटिया प चली,मन में लिए उजास || सो हर बन्ने गूँजते,आल्हा,होली गीत | बजेचंग मस्ती भरे,कण-कण में संगीत || संध्या दीप जला गई, नभ भी हुआ विभोर | उमग चली गौवत्सला,अपने घर की ओर || बहकी-बहकी सी पवन,महकी-महकी रात | नैनन-नैन निहारते, तनिक हुई ना बात || नींद खुली, अँखियाँ हुईं, रोने को मजबूर | लेकर थैली,लाठियाँ, गाँव नशे में चूर || जात-धर्म के नाम पर, बिखरा सकल समाज | एक खेत की मेंड़ पर, चलें गोलियां आज || कैसेमैंधीरज धरूँ, दिखे न कोई रीत | कैसेपाऊँ वही, सावन,फागुन,गीत || दिए दिलासा देरहे,रख मन मेंविश्वास | हला! न हिम्मत हारिए,जलें भोर की आस || तम की कारा से निकल, किरण बनेगी धूप | महकेगी पुष्पित धरा, दमकेगा फिर रूप ||