Thursday, June 23, 2011
Tuesday, 21 Jun 2011 hrs IST
नई दिल्ली। केंद्र सरकार और गांधीवादी अन्ना हजारे पक्ष के बीच सोमवार शाम को यहां हुई लोकपाल विधेयक मसौदा समिति की बैठक सौहार्दपूर्ण रही। दोनों पक्षों के बीच प्रस्तावित लोकपाल के चयन और हटाने की प्रक्रिया जैसे दो नए मुद्दे उभर आए।हालांकि बाद में प्रधानमंत्री को लोकपाल दायरे में लाने पर सरकार ने नरमी के संकेत दिए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, सरकारी मसौदे में कहा गया कि पीएम जब तक पद पर हैं, उनके खिलाफ लोकपाल को शिकायत की जा सकती है लेकिन जांच पद छोड़ने पर ही शुरू होगी। सरकार ने ये फॉर्मूला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मशविरे के बाद निकाला है। सरकार अब तक सिविल सोसायटी की यह मांग ठुकरती रही कि पीएम को लोकपाल दायरे में लाया जाए।
इससे पहले सरकार ने बातचीत में बड़ी प्रगति होने का दावा किया था, जबकि हजारे पक्ष ने कहा था कि मतभेद वाले मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं। मंगलवार को दोनों पक्षों में फिर बातचीत होगी। सोमवार को करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद हजारे ने कहा, गाड़ी वापस पटरी पर आ गई है।
उनके साथी अरविंद केजरीवाल व प्रशांत भूष्ाण ने कहा, पहले से मतभेद वाले मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। लोकपाल की चयन व हटाने की प्रक्रिया जैसे दो नए मुद्दों पर सरकार के साथ मतभेद उभरे हैं। सरकार लोकपाल चयन प्रक्रिया पर नियंत्रण चाहती है। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, हमारे बीच बिना कटुता के विस्तृत चर्चा हुई। इसे हम विधेयक की दिशा में बड़ा कदम मानते हैं। बैठक में नागरिक समाज की ओर से न्यायाधीश संतोष हेगडे को छोड़ सभी सदस्य शामिल हुए। उधर, हेगड़े ने हजारे पक्ष से मतभेद से फिर इनकार किया और कहा कि वे पूर्व निर्घारित कार्यक्रम के चलते सोमवार की बैठक में नहीं आ पाए लेकिन मंगलवार को शामिल होंगे।
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